इस पोस्ट में हम Bandwidth व Frequency के बारे में बेहद ही व्यवहारिक व सटीक Examples के साथ Details में चर्चा करेंगे।
आज हम सैकड़ो टेलीविज़न चैनल्स Use करते हैं लेकिन क्या आपने गौर किया है क्यों कुछ चैनल्स सस्ते तो कुछ महँगे होते हैं?
ये सब इनकी Bandwidth अधिक या कम होने के कारण होती है।
जिस चैनल की बैंडविड्थ अधिक होगी उसकी स्पीड ज्यादा होगी यानी डेटा अधिक प्रोसेस करने में ज्यादा सक्षम होगा।
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Bandwidth आज हमारे डिजिटल मीडिया में व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाला शब्द है।
Bandwidth क्या है?
Bandwidth फ्रीक्वेंसी की कुल Range होती है। जितना अधिक बैंडविड्थ होगा एक specific time में उतनी अधिक data transfer की rate होगी।
और इस तरह इंसान भी Bandwidth की फ्रीक्वेंसी में ही सुनता और बोलता है।
इसको आज हम ऐसे समझेंगे –
Band + Width यानी
Band = तरंगों की पट्टी या गुच्छा, या बंडल
Width= चौंड़ाई
अब Band को यानी तरंगों को हम कोई मिक्स Liquids या पानी समझें, और विड्थ को किसी पाइप की गोलाई, तो पाइप जितना ज्यादा चौंड़ा होगा पानी की मात्रा उतनी ज्यादा होगी।
ठीक ऐसे ही हमारे Data के आदान-प्रदान में भी होता है।
अब हम बात करेंगे Frequency की तो ये शब्द बना है Frequent से यानी तीव्र,तेज़ और अंत में इसमे suffix cy जुड़ जाता है तो हो जाता है frequency यानी आवृत्ति, कम्पन, या बार बार।
इस फ्रीक्वेंसी की वेवलेंथ होती है।
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Frequencies of Bandwidth
मतलब जो frequencies मुख्य फ्रीक्वेंसी के इर्दगिर्द ऊपर नीचे गति करती हैं उनके तरंगों की लंबाई होती है।
जैसे हम जो बोलते हैं अगर उसकी मेन फ्रीक्वेंसी 300 है तो इसके ऊपर नीचे 2 और फ्रीक्वेंसीज हैं जो क्रमशः 250 और 350 में हैं।
जबकि मेन फ्रीक्वेंसी 300 है।अब 250 और 350 के बीच की चौड़ाई को ही बैंडविड्थ बोलते हैं। इनके बीच और छोटी छोटी फ्रीक्वेंसीज होती हैं।
अब हम यहां इसे Bandwidth से जब जोड़ते हैं तो ये बैंडविड्थ के अंदर यानी जो बैंड्स हैं उन्हें तेज़ी से उनके स्थान यानी Receiver तक पहुंचाता है।
मतलब ये की Bandwidth की फ्रीक्वेंसी होती है जिसे हम हर्ट्ज (Hertz) में मापते हैं।
यहां ये भी ध्यान देने वाली बात है कि बैंडविड्थ की डिजिटल फॉर्म को हम bps में मापते हैं। जबकि Analog फॉर्म को hertz में मापते हैं।
हां यहां bps का मतलब bits/seconds से है।
क्यों कि जहां मेमोरी से रिलेटेड bps जैसे kbps,mbps हो वहां ये Bytes/second होता है।
जैसे Baseband में डिजिटल सिग्नल ट्रांसफर होता है। इसलिए इस डिजिटल सिग्नल्स को बेसबैंड सिग्नल भी कहते हैं।
बेसबैंड सिग्नल 01 के बाइनरी फॉर्म में डेटा लेके उसे 01 के बाइनरी फॉर्म में ही ट्रांसफर करते है।
इसमे कोई modulation नहीं होता है।
अब संक्षिप्त में या शार्ट में,
बैंडविड्थ एक निश्चित मात्रा व समय में डेटा को पहुंचाने का काम करता है।
इस तरह हर सिग्नल की बैंडविड्थ होती है।
हम यहां इस विषय को और रोचक बनाने के लिए व्यवहारिक और डिजिटल दोनो के कॉम्बिनेशन में उदाहरण के माध्यम से अपनी बात रखेंगे।
हम हर रोज अपने मोबाइल फ़ोन से डेटा सर्च करते हैं। किसी के एरिया में ये तेज गति से यानी Fast speed से काम करता है तो कहीं ये slow काम करता है।
ये होता इसलिए है कि अगर आपका सर्विस प्रोवाइडर आपको डेटा Transmission को हाई स्पीड रखता है तो इसके लिए उसे निम्न तरीका अपनाना होता है –
Range low + Frequency high
= Data speed high
Range high + Frequency low
= Data स्पीड normal or low
आप देख सकते हैं कि,
अगर सर्विस प्रोवाइडर Range यानी दूरी या एरिया (low) कम रखते हुए Frequency high रखता है तो डेटा की स्पीड बढ़ जाती है।
वहीं अगर Range को high कर के फ्रीक्वेंसी को low यानी कम कर देता है तो डेटा स्पीड नार्मल/कम हो जाता है।
इसका सबसे बेहतर Example wifi है जो low range में highspeed डेटा उपलब्ध कराता है।
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सभी मोबाइल Manufacturer कंपनीयां Bandwidth क्षमता पहले से ही सेलफोन के लिए सेट करके रखती है।
अगर फोन की bandwidth बढ़ेगी तो मोबाइल या टेलीविजन की रेट भी बढ़ जाएगी।
मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स भी डेटा को एक निश्चित लिमिट और निश्चित टाइम के लिए सेट कर के रखता है।
हमारा मोबाइल एक निश्चित बैंडविड्थ पर काम करता है उससे ज़्यादा या कम Bandwidth मिलने पर ये सिग्नल रिसिव नहीं करेगा।
या यूं कह लें की अगर ISP 10 mbps की रेट से डेटा ट्रांसफर करे तो भी हमारा मोबाईल अगर 6 mbps का रिसीवर होतो 6 mbps ही load करेगा।
लेकिन अगर मोबाईल 6 mbps load करता हो और आपका वीडियो 3mbps साइज की हो तो? इसका उदाहरण आप youtube या अन्य प्लेटफॉर्म्स पर देखे होंगे।
मतलब ये की कुछ देर वीडियो देखने के बाद आप मोबाइल डेटा बंद कर दें, तो भी आपका वीडियो काफी देर तक चालू रहता है। यानी एडवांस में डाउनलोड हो गया रहता है।
वहीं टेलिविजन की बैंडविड्थ बहुत हाई होती जैसे 4.2 मेगाहर्ट्ज। इसलिए हम वीडियो, ऑडियो का आनंद ले पाते हैं।
यानी अगर हम मोबाइल से बेहतर कम्युनिकेशन और वीडियो ऑडियो चाहते हैं तो उसकी Bandwidth हाई होनी चाहिए।
चूंकि ये डेटा वायरलेस कम्युनिकेश होता है जो Electromagnetic (Waves) मीडियम से गति करता है इसलिए इसकी बैंडविड्थ लोअर होती है।
वहीं Wired कम्युनिकेशन की बैंडविड्थ ज्यादा होती है।
अब हम इस विषय को और रोचक बनाने के लिए निम्न व्यवहारिक उदाहरण लेंगे।
Common example of Bandwidth and frequency
ध्वनि का प्राम्भिक श्रोत हमारे शरीर में आने जाने वाली हवा होती है। जब हम बोलते हैं तो हमारे vocal cords में कंपन उत्पन्न होते हैं।
ये बहुत तेजी से होते हैं लगभग 100-1000 बार प्रति सेकंड जो Larynx यानी कंठस्वर के मसल्स यानी मांसपेशियों द्वारा कंट्रोल होती है।
Vocal cords के कम्पन और Larynx के समन्वय से एक तरंगों का सेट (Set of waves) उत्पन्न होता है जिससे हमें वो आवाज सुनाई देती है। ये सेट की गति ही फ्रीक्वेंसी होती है।
कहने का मतलब ये की जब साउंड उत्पन्न होती है तो इसमें दो चीजें शामिल होती हैं।
पहली है –फ्रीक्वेंसी, दूसरी- इस पहली वाली यानी मेन (Main) फ्रीक्वेंसी के इर्दगिर्द
रहकर साथ साथ गति करती हैं वो वाली frequencies।
आवाज जब उत्पन्न होती है तो हवा या द्रव्य के माध्यम से हमारे कानों तक पहुंचती है। ये ध्वनि हवा में मौजूद छोटे छोटे कणों (Particles) से टकराते हुए हमारे कानो तक पहुँचती हैं और हमे सुनाई देती है।
इसके बाद इसे सुदूर कम्युनिकेशन के उद्देश्य से इन वेव्स को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव में उसके बाद वोल्ट में कन्वर्ट कर दिया जाता है।
कम्युनिकेशन में ये सिग्नल ही भेजे जाते हैं।
मज़ेदार बात ये है कि ये Signals, Volt के Variation यानी विविधता से बनते हैं।
यानी जितने वोल्ट का सिग्नल होगा उतना ज्यादा उच्च शक्ति का सिग्नल होगा।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इसलिए कि इनमें इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक दोनो गुण होते है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन रेडियो तरंगों के रूप में प्रकाश की गति(तीन लाख किलोमीटर/सेकंड) की गति से सफर करते हैं।
अब हम अपने मुख्य टॉपिक bandwidth की फ्रीक्वेंसी से संबंधित कुछ फैक्ट्स पर नज़र डालते हैं।
Bandwidth’s frequency facts
1 – एक पुरूष के आवाज़ की फ्रीक्वेंसी सामान्यतः 85 से 150 हर्ट्ज होती है।
2 -जबकि एक स्त्री की आवाज फ्रीक्वेंसी 165 से 255 hertz होती है।
3 – जितनी पतली आवाज होगी उसकी उतनी ही फ्रीक्वेंसी ज्यादा होगी।
4 – हमारे कान 20 – 20,000 हर्ट्ज तक के आवाज (ध्वनि तरंग)की प्रतिक्रिया दे सकते है।
इससे ज़्यादा और कम आवाज को हम नहीं सुन सकते।
5 – ध्वनि तरंग जब 20,000 hertz से ऊपर होती है तो उसे अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) कहते हैं।
6 – जबकि 20 hertz से कम हो तो इंफ़्रासाउंड (Infrasound) कहलाती है।
वहीं कुछ जीव ऐसे भी है जो इससे कम या ज़्यादा हर्ट्ज की आवाज की प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
Bandwidth के बारे में अधिक जानने के लिए विकिपीडिया पढ़े।
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very good post
bahut shi acha hai , aapne saare doubt clear kar diya . thanks