5G Technology क्या है, ये कैसे काम करती है? के इस विशेष और रोचक पोस्ट में हम 5G व इसकी मुख्य तकनीक व अन्य के बारे में गहराई से समझेंगे।
कहते हैं ‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है’ इन शब्दों को इंसान अपने उत्पत्ति काल से ही चरितार्थ करते आया है। वरना ये सफर इतना आसान नहीं था।
लेकिन इंसान ने अपने सामर्थ्य और बुद्धि निरंतर प्रयास से बढ़ाया और आज उसी के दम पर हमने हर क्षेत्र में नया कीर्तिमान बना दिया उन्ही क्षेत्रों में से एक है कम्युनिकेशन का यानी सूचना विज्ञान।
विज्ञान की ये शाखा हमें लगभग हर 10 साल पर एक नए तकनीक का ईजाद कर चौंकने का मौका देती है। साथ ही मानव जीवन को आसान बनाने में भी मदद करती है।
एक व्यक्ति ने मुझसे अभी अभी पूछा है कि क्यों आकाशवाणी का टावर बहुत बड़ा है हमारे मोबाइल नेटवर्क के मुकाबले। इसका जवाब भी हम इसके अंतर्गत जानेंगे।
आइए हम यहीं से अपने लेख की शुरुआत करते हैं और ये जानेंगे कि किस तकनीक से हम 5G को इस्तेमाल कर पाएंगे।
5G Technology Kya hai
5G technology का मतलब Fifth Generation और हिंदी में पांचवी पीढ़ी की मोबाइल कम्युनिकेशन तकनीक से है।
सबकुछ ठीक रहा तो हम 2022 तक 4G को पीछे छोड़ 5G को इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे।
अभी तक हम जो रेडियो फ्रीक्वेंसी इस्तेमाल करते थे वो 1GHz से अधिकतम 6GHz थी। इस बैंड पर अब ट्रैफिक का बोझ पड़ने से और यूज़र्स की संख्या बढ़ने से हमारे लिए ये बैंडविड्थ पर्याप्त नहीं लग रही।
इस फ्रीक्वेंसी पर हम 3G, 4G, GPS, c बैंड सैटेलाइट, इत्यादि का इस्तेमाल करते थे। अब हम नए और high frequency की Waves इस्तेमाल करेंगे जिसे Millimeter waves कहते हैं।
इनकी frequency होगी 30GHz – 300GHz तक, जाहिर है ये बहुत हाई फ्रीक्वेंसी होगी। हाई फ्रीक्वेंसी होने की वजह से ये काफी अधिक डेटा को Transmit कर सकती हैं। इनकी waves 1 से 10 मिलीमीटर होती है।
लेकिन इनके कुछ Disadvantage भी हैं, वो ये की जब फ्रीक्वेंसी हाई होती है तो Wave length छोटी हो जाती हैं।
यानी Low frequency के लिए High antenna और High frequency के लिए Smal size antenna की जरूरत होती है।
इन Waves को रास्ते की रुकावटें जैसे Buildings, पेड़, वातावरण में मौजूद गैसें यहां तक कि बरसात के बादल व नमी भी इन वेव्स को सोख लेती हैं और रुकावट पैदा करती हैं।
नीचे हम इनके समाधान और अन्य के बारे में विस्तार से जानेंगे।
ये हमें मौजूदा अधिकतम नेटवर्क स्पीड से 100 गुना तेज गति से डेटा प्रोवाइड कराएगी। इसके आने से हमारे जीवन मे बहुत बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।
चाहें (IoT), स्वचालित गाड़ियां हों या रिमोट के माध्यम से किए जाने वाले ऑपरेशन्स या अन्य कार्य सभी आसानी से किए जाने लगेंगे। हम कई GB के डेटा को कुछ सेकण्ड्स में डाउनलोड करने लग जाएंगे।
5G technology मोबाइल कम्युनिकेशन अबतक की सबसे उन्नत तकनीक है। ये 4G को पीछे छोड़ देगा। इसके आने से हमारा जीवन और भी आसान हो जाएगा।
हालांकि मेरी नजर में भारत जैसे विशाल देश में अगर 5G आ जाए तो ये 4G के अधिकतम स्पीड पर ही 65% क्षेत्र में चलेगी, नाम सिर्फ 5G का होगा।
वो इसलिए कि अपने देश मे सिर्फ एक चौथाई मोबाइल टावर्स फाइबर ऑप्टिक केबल से कनेक्टेड हैं। लेकिन इसके स्पीड का प्रचार-प्रसार पूरे देश मे है। कहने का मतलब ये की अगर हम 4G इस्तेमाल कर रहे हैं तो 3G की स्पीड हमे मिल रही है।
5G Kaise kaam karegi
5G technology के लिए हार्डवेयर devices से लेकर सभी महत्वपूर्ण यंत्रों को नई टेक्नोलॉजी के अनुरूप बनाना पड़ेगा।
वर्तमान में हमारी मोबाइल टेक्नोलॉजी जो स्पेक्ट्रम इस्तेमाल करती हैं वो अधिकतम 6GHz है। बढ़ते मोबाइल यूज़र्स और बैंडविड्थ की खपत के कारण ये भी अब कम पड़ने लगा है।
बैंडविड्थ, फ्रीक्वेंसी के बारे में रोचक व ज्ञानपूर्ण जानकारी के लिए मेरा बैंडविड्थ क्या है , पोस्ट पढ़ें।
लेकिन 5G के लिए इसे 30 से 300GHz तक किया जाएगा। हालांकि रिमोट पहले से ही 300GHz से 100THz तक वेव्स इस्तेमाल करते हैं लेकिन हाई फ्रीक्वेंसी के कारण इनकी वेव्स थोड़ी दूर तक ही ट्रेवल कर पाती हैं। जिसके कारण हमारे रिमोट एक रूम से दूसरे रूम के Devices को प्रभावित नहीं करते।
उदाहरण के लिए 3 से 30 kHz की waves की रेंज 10 से 100 km तक होती है। जबकि 30 से 300GHz की waves की रेंज महज कुछ सेंटीमीटर ही होती है।
1kHz में 1000 cycle/second होता है। Hertz नाम, जर्मन वैज्ञानिक हेनरिक हर्ट्ज के नाम पर पड़ा है।
शार्ट रेंज जैसी दिक्कतें 5G में भी हैं। 5G technology मुख्य रूप से नीचे दिए निम्न तकनीक को फॉलो करते हुए काम करेगी –
5G किन तकनीक पर आधारित है
● Millimeter waves
● Small cell
● Massive MIMO
● Full Duplex
● Beam forming
Millimeter waves
मिलीमीटर वेव्स या band 30 GHz से 300GHz spectrum के Band को Millimeter waves कहते हैं।
जैसे कि हम ऊपर पढ़ चुके हैं कि फ्रीक्वेंसी जितनी हाई होगी Wave length उतनी छोटी होगी। इस दशा में बैंडविड्थ बढ़ जाएगा क्यों कि फ्रीक्वेंसी हाई हुई है।
जब फ्रीक्वेंसी Low होती है तो उसकी Range यानी उसके किसी स्थान तक पहुंचने की दूरी बढ़ जाती है। ये किसी बिल्डिंग, पेड़ या मौसम से न के बराबर प्रभावित होती हैं। लेकिन इनके Towers भी बड़े बड़े होते हैं।
जैसे रेडियो (आकाशवाणी) के टावर्स आपको पास पास नहीं दिखेंगे क्यों कि इनकी वेव लेंथ बड़ी होती है लगभग सेंटीमीटर व मीटर में जिसके कारण ये ज्यादा दूरी तक एरिया cover कर लेती हैं।
इनकी ट्रांसमिशन भी Omnidirectional यानी चारों ओर तरंगो को प्रसारित करने वाली होती हैं।
5G technology के बारे में हम ऊपर पढ़ चुके हैं कि इसे विभिन्न चीजे सोख लेती हैं और ये बिल्डिंग्स इत्यादि के आर-पार नहीं जा सकतीं।
Small Cell
Small cell 5G technology में प्रयुक्त होने वाले छोटे व low-powered ऐन्टेना को कहा गया है। ये कहीं भी पोल या खंभे पर अधिक मात्रा में फिट किए जा सकते हैं।
जब Wave length शार्ट यानी छोटी होती हैं तो उनके लिए ऐन्टेना भी छोटे छोटे ही काफी होते हैं, लगभग कुछ इंच।
5G technology के लिए Engineers ने ये तरकीब निकाली है की जगह जगह छोटे छोटे पैनल बनाए जाएं और उनमें Antenna लगाए जाएं। ताकी आस पास व बिल्डिंग के पीछे जैसी जगहों पर भी नेटवर्क आसानी से उपलब्ध कराया जा सके।
Massive MIMO
Massive MIMO (Multiple-input Multiple-output) से मतलब है की एक ही बॉक्स या पैनल में सैकड़ो या हज़ारों Antennas को फिट करना। ये क्रम 2,4 का होता है जो Receiveing व transmitting के लिए होता है।
इनसे ऊर्जा की बचत होती है व स्पेक्ट्रल की हानि भी नहीं होती।
Full Duplex
Full duplex पद्धति पारंपरिक half duplex से थोड़ी अलग है। Half duplex में रिसीव और ट्रांसमिट के लिए अलग अलग चैनल इस्तेमाल किया जाता है।
जबकि Full duplex में एक ही Transceiver एक ही समय पर Same frequency पर डेटा Receive और Transmit दोनो कर सकता है।
लेकिन इसमें दुविधा ये है कि जब कोई ट्रांसमीटर डेटा ट्रांसमिट, इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए करता है तो device का Antenna सबसे नजदीक होता है। जिसके वजह से Interference होने लगती है।
हालांकि Engineers ने अभी तक इसमें पूर्ण कामयाबी नहीं पाई है। लेकिन इसके लिए Silicon transistors का प्रयोग कर रहे हैं जो इस तकनीक में सफलता दिला सकता है।
Beam forming
इस टर्म को हम ऐसे समझेंगे, जैसे आप अंधेरे में अपनी Torch जलाते हैं और किसी एक जगह या चीज पर फोकस करते हैं।
इस प्रक्रिया में जो फोकस Torch और वस्तु के बीच है उसे ही Beam forming कहते हैं
ठीक इसी तरह 5G technology में भी बीम फॉर्मिंग, Transmitters द्वारा सिग्नल को यूजर के Device की ओर ट्रांसमिट करने को कहते हैं।
इस प्रक्रिया में कई ऐन्टेना एक ही तरह के सिग्नल को यूजर के डिवाइस के लिए डेटा ट्रांसमिट करते हैं।
उपरोक्त 5 तकनीक पर ही 5G की सफलता का दारोमदार है। नीचे हम संक्षेप में इनके कुछ बिन्दुओ पर प्रकाश डालेंगे।
Advantage & Disadv. of 5G
● 5G हमे लगभग 1 से 10Gb/ps की फास्टेस्ट स्पीड प्रोवाइड करेगी।
● ये हमे 1 मिली सेकंड की delay प्रोवाइड करेगी जो मौजूद 4G में 10 millisecond है। (किसी नेटवर्क के रिस्पांस टाइम को latency या delay कहते हैं।)
● इस तकनीक के आने से devices की बैटरी लाइफ बढ़ जाएगी। क्योंकि मौजूदा नेटवर्क में डेटा और नेटवर्क को लगाताए सर्च करने में ही बैट्रीरीयाँ खर्च हो जाती थीं।
● इसमें लगभग 100% Coverage और 99.99% नेटवर्क availability मिलेगी।
● 5G तकनीक IoT यानी Internet of things के लिए सबसे फायदेमंद साबित होगी। क्योंकि IoT के लिए जरूरी हाई स्पीड डेटा ये हाई frequency होने से आसानी से प्रोवाइड करेगी।
● ये 4G LTE की तुलना में 200 गुना ज्यादा तेज है।
● 5G के लिए कम्पनियों को अपने शुरुआती Infrastructure में काफी बदलाव करना पड़ेगा। हालांकि 5G में 4G की तुलना में इंफ्रास्ट्रक्चर बड़े नहीं होंगे।
● चूंकि अपने यहां अभी 4G के लिए भी Infrastructure पूरी तरह से ठीक नहीं तो 5G के आने के बाद भी हमें कई सालों तक इसकी सही स्पीड का इंतज़ार रहेगा।
5G India में कब आएगी
अभी तक कई कम्पनियों ने इसकी ट्रायल शुरू की है लेकिन अभी तक किसी ने भी इस तकनीक में पूर्णसफलता नहीं हासिल की है।
हालांकि गवर्नमेंट (टेलीेकम्युनिकेशन्स)ने TRAI से 5G के संदर्भ में सुझाव मांगे हैं। लेकिन मौजूदा परिपेक्ष में ऐसा लगता है कि India में 5G सेवा 2022 तक Commercially शुरू हो जाएगी।
कुछ श्रोत भारत सरकार को ये सुझाव भी दिए हैं की कुछ बैंड्स को 2 सालों तक शोध व विकास के लिए फ्री में स्पेक्ट्रम दिए जाएं।
भारतीय कंपनियाँ इसके लिए लगातार प्रयास कर रही हैं और इसी साल यानी 2019 में इसकी ट्रायल भी शुरू कर देंगी।
5G के लिए दुनिया का पहला 5G स्मार्टफोन लांच भी होने वाला है। जो Mi Mix3 मॉडल होगा।
वहीं Qualcomm ने already 5G मॉडेम बना भी चुकी है।
5G को लांच करने वाले देश
Asia महाद्वीप में साउथ कोरिया ऐसा पहला देश है जो सबसे पहले दिसंबर 2018 में इसे लांच कर चुका है।
वहीं डच (Deutsch) कम्पनी भी दिसंबर 2018 में ही पोलैंड में 5G सर्विस शुरू कर चुकी है।
इसके अलावे अन्य देश जैसे स्वीडन, जापान, चीन, USA भी जल्दी ही इसे लांच कर देंगे।
Verizon ऐसी पहली सर्विस प्रोवाइडर कम्पनी है जो 5G लांच कर चुकी है US में लेकिन ये अभी Non-standard है।
5G technology के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए इसे आप अंग्रेजी में विकिपीडिया पर भी पढ़ सकते हैं।
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दोस्तों! उम्मीद है आपको मेरी ये पोस्ट उपयोगी सिद्ध हुई होगी। मेरी कोशिश हमेशा यही रहती है कि अपने पाठकों को हमेशा क्वालिटी कंटेंट और जानकारी युक्त लेख उपलब्ध कराऊँ।
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thanks bhai apki best knowledge ke liye
Thanks bhai.Appreciation ke liye.
bahoot hi achha post likha hai apne sir ji
Dhanyawaad, Priya ji.
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